( न्यूज़ 24 पंजाब): कैप्टन अमरिंदर सिंह के सीएम पद से हटने के बाद भी हर रोज पार्टी में घमासान होती रहती है J पंजाब कांग्रेस में अब मंत्री पद को लेकर घमासान मच गया है। इसकी वजह कैप्टन कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले मंत्री राणा गुरजीत हैं। दोआबा के 7 नेताओं ने राणा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है उन्होंने राणा को मंत्री न बनाने को कहा है। इनमें दोआबा के विधायक राजकुमार चब्बेवाल,बावा हैनरी, नवतेज चीमा, बलविंदर धालीवाल, सुखपाल सिंह खैहरा,पवन आदिया के साथ पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान मोहिंदर सिंह केपी शामिल हैं।
सभी ने नवजोत सिंह सिद्धू को चिट्ठी लिखी है जिसमें कहा गया कि राणा को मंत्री बनाने से सरकार व पार्टी की छवि खराब होगी। यह सभी नेता जल्द सिद्धू से मिल भी सकते हैं। स्पष्ट है कि माझा के बाद अब दोआबा में कांग्रेस के बीच झगड़ा शुरु हो गया है।
पहली कैप्टन कैबिनेट में थे राणा, 10 महीने में देना पड़ा इस्तीफा
अपने निर्वाचन क्षेत्र में खासा नाम है और लोगों में उनकी लोकप्रियता बहुत ज्यादा है
राणा गुरजीत कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी रहे हैं। 2018 में उन पर अपने रसोइए के नाम पर रेत खनन को लेकर कुछ आरोप लगे थे। तब कैप्टन ने जांच कराई और क्लीन चिट दे दी। विपक्षी दलों ने मुद्दा उठाया तो राणा ने कहा कि उन्होंने कैप्टन को इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उसके बाद राहुल गांधी ने इसका नोटिस ले लिया। कैप्टन ने राहुल से मुलाकात की। जिसके बाद राणा गुरजीत का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया। 10 महीने में ही राणा को मंत्री पद खोना पड़ा। अब उनकी फिर से वापसी की जा रही थी।
राणा को समर्थन भी मिल रहा
राणा गुरजीत को पंजाब कांग्रेस में दोआबा से समर्थन भी मिल रहा है। विधायक लाडी शेरोवालिया, सुशील रिंकू जैसे कुछ नाम हैं, जो राणा को मंत्री बनाने के समर्थन में हैं। ऐसा भी कहा जा रहा है कि अगर कैप्टन के सभी दिग्गज करीबियों को हटा दिया गया तो फिर पार्टी के भीतर मजबूत गुट तैयार हो जाएगा। अब इस पर आखिरी फैसला नवजोत सिद्धू, CM चरणजीत चन्नी और कांग्रेस हाईकमान को लेना है। गौरतलब है कि आज नए मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह है उससे पहले क्या फैसला लिया जाता है यह जल्द ही पता चल जाएगा I सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार राणा गुरजीत सिंह का अपने निर्वाचन क्षेत्र में खासा नाम है और लोगों में उनकी लोकप्रियता बहुत ज्यादा है। इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी हाईकमान को निर्णय लेना चाहिए। क्योंकि चुनाव नजदीक है और ऐसे समय में इतने बड़े फेरबदल पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते है।