जालंधर 01 अक्टूबर (धर्मेन्द्र सौंधी) : स्पाईन मास्टर्स यूनिट (वासल अस्पताल जालंधर) के सीनियर इंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जन डॉ. त्रिवेदी ने बताया पिछले कुछ सालों में सपाईन सर्जरी के एडवासमेन्ट ने स्पाईन सर्जरी को काफी बदल दिया है। अब ज्यादातर स्पाईन सर्जरी इंडोस्कोप से होती हैं। जिसमे मरीज को बिना बेहोश किये 7 मिमी. के छोटे से चीरे से किया जाता है और आप्रेशन के तुरंत बाद मरीज अपने पैरो से चलकर जाता है। इंडोस्कोपिक स्पाईन सर्जरी ने स्पाइन सर्जनी को डे-केयर सर्जरी बना दिया है। लेकिन इस सर्जरी को सीखने में काफी मुश्किल आती है। इसलिये इस तरह से आपरेशन करने वाले लोग काफी कम हैं। और तो और काफी देशो में भी ये सर्जरी उपलब्ध नहीं है।
डॉ. त्रिवेदी पिछले करीब दस साल से इंडोस्कोपिक सर्जरी कर रहे है। नाज़मूल हसन जिनकी उर्म 33 वर्ष है जोकि बाग्लादेश से है और सऊदी अरब में काम करते है। वह पिछले काफी सालो से कमर के दर्द से पीड़ित थे | साथ ही साथ बाएं पैर में भी काफी दर्द रहता था। इसी कारण से नाज़मूल ज्यादा चल भी नहीं पाता था। करीब 4-5 मिनट केवल चलने के बाद बाएं पैर में काफी दर्द होता था। नाज़मूल सउदी अरब से सिर्फ डा. त्रिवेदी से दूरबीन (इंडोस्कोपिक) स्पाईन सर्जरी कराने के लिए जालंधर स्पाईन मास्टर्स यूनिट (वासल अस्पताल) में आकर इंडोस्कोपिक सपाईन सर्जरी करवाई। डॉ. त्रिवेदी ने बताया कि नाज़मूल के MRI में चौथा और पांचवा मनका स्लिप होने के कारण, नाड़ दब रही थी।
और दरबीन से बिना बेहोश किए ये आपरेशन डॉ. त्रिवेदी ने केवल 25 मिनट में किया और आपरेशन के बाद आपरेशन की जगह सिर्फ एक बैंडेज लगी हुई है। आपरेशन के तुरंत बाद नाज़मूल के बाएं पैर का दर्द खत्म हो गया और नाज़मूल अब करीब एक घंटा बिना रुके चल सकते है। डॉ. त्रिवेदी ने बताया चूंकि यह सूर्जरी की प्रैक्टिस देश के कुछ गिने चुने लोगों के पास है। साथ ही साथ एक्सपीरियंस भी चाहिये। इस तरह के आपरेशन के लिए, इसी कारण से विदेशों से भी विदेशी मरीज जालंधर में उनके पास आकर आपरेशन करवा रहे हैं। इंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी 21वीं शताब्दी का सबसे अच्छा मरीज़ो के लिए गिफ्ट है।