जालंधर, 02 फरवरी (धर्मेंद्र सौंधी) : जालंधर कैंट सीट से विधायक एवं कांग्रेस प्रत्याशी परगट सिंह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि वे चुनाव जरूर जीतेंगे। ये कांफिडेंस धीरे-धीरे ओवर कांफिडेंस में तब्दील होता जा रहा है और राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह ओवर कांफिडेंस उन्हें ले डूबेगा। अब जैसे कि अगर परगट सिंह यहां से हारते हैं उस हार के पांच कारण जिम्मेवार होंगे। पहला कारण अपनों की बगावत। परगट सिंह शुरू से सिद्धू खेमे के रहे हैं और कैप्टन खेमा जोकि इस समय कांग्रेस में उपेक्षा का शिकार है वे बिल्कुल नहीं चाहेगा कि परगट सिंह कभी जीतें। दूसरा कारण है अपनों के मुनाफे के लिए अवैध कालोनियां बनवाना। परगट के एरिया में सैकड़ों अवैध कालोनियां बनीं और लोग कालोनाइजरों की ठगी का शिकार होकर कई कालोनियों में मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं।
ये लोग हमेशा विधायक को कोसते हैं न कि वोट देने को तैयार हैं। तीसरा कारण है गांवों में परगट सिंह की कमजोर होती पकड़। गांवों में शिअद और भाजपा का सिख चेहरा मजबूत होते जा रहे हैं। इन दोनों कारणों की वजहों से परगट सिंह का वोटबैंक खिसकने लगा है। चौथा कारण हैं टीचरों का भारी विरोध। टीचरों ने परगट सिंह के नाक में दम किया हुआ है और उनके परिवार व साथी एकमत हैं कि परगट सिंह के खिलाफ प्रचार में कमी नहीं आने देंगे। पांचवां और सबसे अहम कारण है परगट सिंह का खुद को कंफर्ट जोन में। सूत्रों के मुताबिक कोई नहीं है टक्कर में पड़े हो किस चक्कर में वाली मानसिकता अपनाने वाले परगट सिंह को विरोधियों की कमियां गिनाने के साथ-साथ अपने विकास कार्य भी बताने होंगे जोकि न के बराबर हैं। बाकी ये आने वाला वक्त ही बताएगा कि कौन हारता है कौन जीतता है लेकिन ये बात तो तय है कि परगट सिंह की हार की आशंका अधिक जीत के चांस कम लग रहे हैं।